बुधवार, 15 फ़रवरी 2017
VMOU RSCIT QUESTION BANK
शनिवार, 14 जनवरी 2017
Indian Constitution all Articles:-भारतीय संविधान के सारे अनुच्छेद एक साथ
अनुच्छेद 2:- नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना
अनुच्छेद 3 :- राज्य का निर्माण तथा सीमाओं या नामों मे
परिवर्तन
अनुच्छेद 4 :- पहली अनुसूचित व चौथी अनुसूची के संशोधन तथा दो और तीन के अधीन बनाई गई विधियां
अच्नुछेद 5 :- संविधान के प्रारंभ पर नागरिकता
अनुच्छेद 6 :- भारत आने वाले व्यक्तियों को नागरिकता
अनुच्छेद 7 :-पाकिस्तान जाने वालों को नागरिकता
अनुच्छेद 8 :- भारत के बाहर रहने वाले व्यक्तियों का नागरिकता
अनुच्छेद 9 :- विदेशी राज्य की नागरिकता लेने पर नागरिकता का ना होना
अनुच्छेद 10 :- नागरिकता के अधिकारों का बना रहना
अनुच्छेद 11 :- संसद द्वारा नागरिकता के लिए कानून का विनियमन
अनुच्छेद 12 :- राज्य की परिभाषा
अनुच्छेद 13 :- मूल अधिकारों को असंगत या अल्पीकरण करने वाली विधियां
अनुच्छेद 14 :- विधि के समक्ष समानता
अनुच्छेद 15 :- धर्म जाति लिंग पर भेद का प्रतिशेध
अनुच्छेद 16:- लोक नियोजन में अवसर की समानता
अनुच्छेद 17 :- अस्पृश्यता का अंत
अनुच्छेद 18 :- उपाधीयों का अंत
अनुच्छेद 19 :- वाक् की स्वतंत्रता
अनुच्छेद 20 :- अपराधों के दोष सिद्धि के संबंध में संरक्षण
रविवार, 4 सितंबर 2016
Major Mountain Strikes in Rajasthan- राजस्थान कि प्रमुख पर्वत चोटियाॅ
02. Khoh (Jaipur) - 920 M
03. Bhairach (Alwar) - 792 M
04. Barwara (Jaipur) - 786 M
05. Babai (Junjhunu) - 780 M
06. Bilali (Alwar) - 775 M
07. Manoharpura (Jaipur) - 747 M
08. Bairath (Jaipur) - 704 M
09. Sariska (Alwar) - 677 M
10. Siravas - 651 M
02. Taragarh (Ajmer) - 870 M
03. Naag Pahar (Ajmer) -795 M
02. Ser (Sirohi) - 1597 M
03. Dilwara (Sirohi) - 1442 M
04. Jarga (Sirohi) - 1431 M
05. Achalgarh (Sirohi) - 1380 M
06. Kumbhalgarh (Rajsamand) - 1224 M
07. Dhoniya - 1183 M
08. Hrishikesh - 1017 M
09. Kamalnath - 1001 M
10. Sajjangarh - 938 M
11. Lilagarh - 874 M
02. Ser (Sirohi) - 1597 M
03. Dilwara (Sirohi) - 1442 M
04. Jarga (Sirohi) - 1431 M
05. Achalgarh (Sirohi) - 1380 M
06. Kumbhalgarh (Rajsamand) - 1224 M
07. Dhoniya - 1183 M
08. Raghunathgarh (Sikar) - 1055 M
09. Hrishikesh - 1017 M
10. Kamalnath - 1001 M
गुरुवार, 26 मई 2016
Saint sampradaya and folk saints of Rajasthan-राजस्थान के संत सम्प्रदाय एवं लोक संत
राजस्थान के पुरूष लोक सन्त
शनिवार, 27 फ़रवरी 2016
RSCIT Question Bank-RSCIT प्रश्न बैंक
RSCIT Question Bank-RSCIT प्रश्न बैंक
बुधवार, 17 फ़रवरी 2016
Adhivasis pilgrimage site of Ghotiya Ambaji-आदिवासियों की तीर्थ स्थल घोटिया आंबाजी का मेला
Marwar Ghudla Festival-मारवाड़ का घुड़ला त्यौहार
Marwar Ghudla Festival-मारवाड़ का घुड़ला त्यौहार
मारवाड़ का घुड़ला त्यौहार
मारवाड़ के जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर आदि जिलों में चैत्र कृष्ण सप्तमी अर्थात शीतला सप्तमी से लेकर चैत्र शुक्ला तृतीया तक घुड़ला त्यौहार मनाया जाता है। इस त्यौहार के प्रति बालिकाओं में ज्यादा उत्साह रहता है। घुड़ला एक छिद्र किया हुआ मिट्टी का घड़ा होता है जिसमें दीपक जला कर रखाहोता है। इसके तहत लड़कियाँ 10-15 के झुंड में चलती है। इसके लिए वे सबसे पहले कुम्हार के यहां जाकर घुड़ला और चिड़कली खरीद कर लाती हैं, फिर इसमें कील से छोटे-छोटे छेद करती हैं और इसमें दीपक जला कर रखती है।
इस त्यौहार में गाँव या शहर की लड़कियाँ शाम के समय एकत्रित होकर सिर पर घुड़ला लेकर समूह में मोहल्ले में घूमती है। घुड़ले को मोहल्लें में घुमाने के बाद बालिकाएँ एवं महिलाएँ अपने परिचितों एवं रिश्तेदारों के यहाँ घुड़ला लेकर जाती है। घुड़ला लिए बालिकाएँ घुड़ला व गवर के मंगल लोकगीत गाती हुई सुख व समृद्धि की कामना करती है।जिस घर पर भी वे जाती है, उस घर की महिलाएँ घुड़ला लेकर आई बालिकाओं का अतिथि की तरह स्वागत सत्कार करती हैं।
साथ ही माटी के घुड़ले के अंदर जल रहे दीपक के दर्शन करके सभी कष्टों को दूर करने तथा घर में सुख शांति बनाए रखने की मंगल कामना व प्रार्थना करते हुए घुड़ले पर चढ़ावा चढ़ाती हैं। घुड़ले के शहर व गाँवों में घूमने का सिलसिला शीतला सप्तमी से चैत्र नवरात्रि के तीज पर आने वाली गणगौर तक चलता है। इस दिन गवर को घुड़ले के साथ विदाई दी जाती है। इन दिनों कई लड़कियों द्वारा परंपरा के अनुरूप गणगौर का उपवास भी रखा जाता है। घुड़ला नृत्य है अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त घुड़ला लेकर घूमर एवं पणिहारी अंदाज किया जाने वाला घुड़ला नृत्य आज अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त है।
महिलाओं द्वारा किए जाने वाले इस नृत्य को प्रोत्साहित करने और इसके विकास कर इसे राष्ट्रीय स्तर का मंच प्रदान करने में जयपुर के कलाविद् मणि गांगुली, लोक कला मंडल उदयपुर के संस्थापक देवीलाल सामर तथा जोधपुर स्थित राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के पूर्व सचिव पद्मश्री कोमल कोठारी (संस्थापक रूपायन संस्थान बोरून्दा, जोधपुर) का महत्वपूर्ण योगदान है जिससे यह राजस्थानी कला आमजन एवं देश विदेश में लोकप्रिय बनी।