सुवर्ण गिरि दुर्ग ( जालोर दुर्ग) ,JALORE FORT

यह दुर्ग मारवाङ मे सुकङी नदी के दाहीने किनारे कनकाचल सुवर्ण गिरी पहाङी पर स्थित हैं।ङाँ दशरथ शर्मा के अनुसार प्रतिहार नरेश नागभटट् प्रथम ने इस दुर्ग का निर्माण करवाया था । वीर कान्हडदेव सोनगरा और उसके पुत्र वीरमदेव अलाउद्दीन खिलजी के साथ जालौर दुर्ग में युध्द करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए तथा 1311-1312ई.के लगभग खिलजी ने जालौर पर अधिकार किया । इस युध्द का वर्णन कवि पद्मनाभ द्वारा रचित प्रसिद्ध ग्रंथ
' कान्हङदे प्रबंध 'तथा ' वीरमदेव सोनगरा री बात ' मे किया गया हैं। जालौर दुर्ग अपनी.सुदृढता के कारण संकटकाल मे जहाॅ मारवाङ के राजाओ का आश्रय स्थल रहा वही इसमे राजकीय कोष भी रखा जाता रहा ।संत मल्लिक शाह की दरगाह तथा दुर्ग मे स्थित परमार कालीन कीर्ति स्तम्भ जैन धर्मावलम्बियो की आस्था का केन्द्र प्रसिद्ध ' स्वर्णगिरी ' मंदिर ,तोपखाना आदि जालौर दुर्ग के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल हैं।
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