मंगलवार, 14 अप्रैल 2015
राजस्थान विधानसभा के इतिहास में जुडा एक नया अध्याय
राजस्थान विधानसभा के इतिहास में रविवार 22मार्च 2015 को एक नया अध्याय जुड गया ।यह मौका रहा जब विधानसभा का संचालन रविवार को हुआ।संसदीय कार्य मंत्री राजेंद्र राठौङ ने सदन की कार्रवाई शुरू होते ही कहा कि जनप्रतिनिधियों को छुट्टी देकर आपदा प्रभावित किसानो से मिलने का अवसर दिया,यह भी पहला मौका था। रविवार को विधानसभा सत्र के संचालन से फर्क भले न पडे , लेकिन एक संदेश गया कि विधानसभा जनता के हितो को सर्वोपरी मानते हुए सबसे पहले उस कार्य को करना जरूरी मानती हैं। राठौङ ने कहा कि इससे पहले भी एक वह दिन था जब 14अगस्त1972 को आजादी की रजत जयंती पर एक मिनट के लिए रात 11 बजे विधानसभा आहूत की गई थी।एक अवसर आया 31 मार्च 2010 को यही विधानसभा रात को तीन बजकर चालीस मिनट पर स्थगित हुई थी । उस समय पूरे प्रदेश में अकाल ,पेयजल व बिजली पर चर्चा चली थी।
रविवार, 12 अप्रैल 2015
Board of Secondary Education Rajasthan-BSER--माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान, अजमेर
Board of Secondary Education Rajasthan-BSER--माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान, अजमेर
इतिहास History-
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान दिनांक 4 दिसम्बर 1957 को राजस्थान माध्यमिक शिक्षा अधिनियम 1957 के तहत जयपुर में स्थापित किया गया जिसे 1961 में अजमेर स्थानांतरित किया गया। सन् 1973 से यह जयपुर रोड़ स्थित अपनी वर्तमान बहुमंजिला इमारत में कार्यरत है। अपनी स्थापना से अब तक पाँच दशकों से यह देश के सबसे बड़े राज्य राजस्थान के छः हजार से अधिक विद्यालयों के माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक कक्षाओं के लाखों विद्यार्थियों की वार्षिक परीक्षाओं को संपादित करवा रहा है। बोर्ड द्वारा राज्य में एक सुदृढ़ परीक्षा तंत्र बनाने एवं परीक्षा सुधार करने के साथ साथ दूरदर्शिता का परिचय देते हुए माध्यमिक शिक्षा के विकास के लिए कई नवाचार भी किए गए हैं।
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के प्रमुख कार्य-
> माध्यमिक, प्रवेशिका, उच्च माध्यमिक तथा उपाध्याय स्तर की परीक्षाओं का आयोजन कर प्रमाण पत्र प्रदान करना।
> राज्य में कक्षा 9 से 12 के लिए पाठ्यक्रम तथा पाठ्यपुस्तकों का निर्माण व प्रकाशन।
> बोर्ड शिक्षण पत्रिका का प्रकाशन।
> शिक्षकों के अकादमिक उन्नयन हेतु कार्यक्रमों का आयोजन।
> प्रतिभावान विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने हेतु पुरस्कार, पदक एवं छात्रवृत्ति प्रदान करना तथा व्यक्तित्व विकास शिविर का आयोजन।
> उत्कृष्ट परीक्षा परिणाम देने वाले विद्यालयों को शील्ड।
> विद्यार्थियों की बहुमुखी प्रतिभा को सँवारने और प्रोत्साहित करने के लिए प्रतियोगिताओं का आयोजन।
> विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग तथा माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के संयुक्त तत्वावधान में राज्य स्तरीय विज्ञान प्रतिभा खोज परीक्षा का आयोजन।
> राष्ट्रीय प्रतिभा खोज परीक्षा का आयोजन।
बोर्ड का संगठन-
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा अधिनियम 1957 के तहत बोर्ड की संरचना निम्नांकित है-
> अध्यक्ष -1
> उपाध्यक्ष सहित पदेन सदस्य - 7
> निर्वाचित सदस्य - 7
> राज्य सरकार द्वारा मनोनीत सदस्य - 17
> विधानसभा अध्यक्ष द्वारा मनोनीत सदस्य -2
> सहवरण सदस्य s -2
*. बोर्ड अध्यक्ष की नियुक्ति राजस्थान सरकार द्वारा की जाती है।
*. आयुक्त/निदेशक, माध्यमिक शिक्षा इसके उपाध्यक्ष तथा पदेन सदस्य होते हैं।
*. बोर्ड का कार्यकाल तीन वर्ष होता है।
*. बोर्ड के सचिव की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा की जाती है।
*. बोर्ड का समस्त कार्य बोर्ड के नियमों के अनुसार इसके कर्मचारियों तथा अधिकारियों द्वारा संपादित किया जाता है।
सम्पर्क सूत्र Contact-
परीक्षा परिणाम और अन्य विस्तृत जानकारी के लिए बोर्ड की वेबसाइट निम्न प्रकार से है-
http://rajeduboard.nic.in/
तीर्थों का भांजा धौलपुर का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल मचकुण्ड
धार्मिक स्थल मचकुण्ड अत्यंत ही सुन्दर व रमणीक धार्मिक स्थल है जो प्रकृति की गोद में राजस्थान के धौलपुर नगर के निकट स्थित है। यहां एक पर्वत है जिसे गन्धमादन पर्वत कहा जाता है। इसी पर्वत पर मुचुकुन्द नाम की एक गुफा है। इस गुफा के बाहर एक बड़ा कुण्ड है जो मचकुण्ड के नाम से प्रसिद्ध है। इस विशाल एवं गहरे जलकुण्ड के चारों ओर अनेक छोटे-छोटे मंदिर तथा पूजागृह पाल राजाओं के काल (775 ई. से 915 ई. तक) के बने हुए है। यहां प्रतिवर्ष ऋषि पंचमी तथा भादों की देवछट को बहुत बड़ा मेला लगता है, जिसमें हजारों की संख्या में दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। मचकुण्ड को सभी तीर्थों का भान्जा कहा जाता है। मचकुण्ड का उद्गम सूर्यवंशीय 24 वें "राजा मुचुकुन्द" द्वारा बताया जाता है। यहां ऐसी धारणा है कि इस कुण्ड में नहाने से पवित्र हो जाते हैं। यह भी माना जाता है कि मस्सों की बीमारी से त्रस्त व अन्य चर्म रोगों से परेशान लोग इस कुण्ड में स्नान करें तो वे इनसे छुटकारा पा जाते हैं। इसका वैज्ञानिक पक्ष यह है कि इस कुंड में बरसात के दिनों में जो पानी आकर इकट्ठा होता है उसमें गंधक व चर्म रोगों में उपयोगी अन्य रसायन होते हैं। यहाँ प्रत्येक माह की पूर्णिमा को आरती एवं दीपदान का आयोजन किया जाता है। मचकुंड का नाम सिक्ख धर्म से भी जुड़ा है। सिक्ख के गुरुगोविंद सिंह जी 4 मार्च 1662 को ग्वालियर जाते समय यहाँ ठहरे थे। यहाँ उन्होंने तलवार के एक ही वार से शेर का शिकार किया था। उनकी स्मृति में यहाँ शेर शिकार गुरुद्वारा बना है जिसका वैभव अत्यंत आकर्षक है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने कालयवन को राजा मुचुकुन्द के हाथों इसी स्थान पर मरवाया था। तभी से इसे मुचकुण्ड या मचकुण्ड पुकारा जाता है। पूरी कथा इस प्रकार है-
मचकुंड की कथा-
एक बार देवताओं और राक्षसों के बीच युद्ध हुआ तब राजा मुचुकुन्द की सहायता से देवताओं को विजयश्री प्राप्त हुई। लेकिन उस युद्ध में राजा का सब कुछ नष्ट हो चुका था तब राजा मुचुकुन्द ने देवताओं से अपने लिए गहरी नींद का वरदान मांगा। वरदान में निद्रा पाकर वे गन्धमादन पर्वत की गुफा में जाकर सो गए। मथुरा पर जब कालयवन ने घेरा डाला तब अस्त्रहीन होने की वजह से श्रीकृष्ण वहाँ से भाग निकले, भागते भागते उसी गुफा में जा घुसे जहां राजा मुचुकुन्द सो रहे थे। कालयवन भी उनका पीछा करते हुए उसी गुफा में आया एवं सोए हुए राजा को श्रीकृष्ण समझकर ठोकर मारी तो राजा मुचुकुन्द जाग गए। राजा मुचुकुन्द की दृष्टि कालयवन पर पड़ी जिससे वो भस्म हो गया। तब श्रीकृष्ण ने राजा को दर्शन दिए और उत्तराखण्ड जाकर तपस्या करने को कहा। राजा ने गुफा से बाहर आकर यज्ञ किया और उत्तराखण्ड चले गए। तभी से यह स्थान मचकुण्ड के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
कमल के फूल का बाग-
मचकुंड तीर्थ के निकट ही कमल के फूल का बाग भी स्थित है। चट्टान काट कर बनाए गए कमल के फूल के आकार में बने हुए इस बाग का ऐतिहासिक दृष्टि से बड़ा महत्व है। प्रथम मुगल बादशाह बाबर की आत्मकथा 'तुजुके बाबरी' (बाबरनामा) में जिस कमल के फूल का वर्णन है वह यही कमल का फूल है। कमल के बाग के परिसर में स्नानागार बने हैं जो मुगलकालीन वास्तुकला के अनूठे साक्ष्य है।
राजस्थान का प्रसिद्ध शक्तिपीठ जालौर की "सुंधामाता- (Sundha Mata)"



देवी के इस मंदिर परिसर में माता के सामने एक प्राचीन शिवलिंग भी प्रतिष्ठित है, जो 'भुर्भुवः स्ववेश्वर महादेव' (भूरेश्वर महादेव) के नाम से सेव्य है। इस प्रकार सुंधा पर्वत के अंचल में यहाँ शिव और शक्ति दोनों एक साथ प्रतिष्ठित है।
यहाँ प्राप्त सुंधा शिलालेख हरिशेन शिलालेख या महरौली शिलालेख की तरह ऐतिहासिक महत्व का है। इस शिलालेख के अनुसार जालोर के चौहान नरेश चाचिगदेव ने इस देवी के मंदिर में विक्रम संवत 1319 में मंडप बनवाया था जिससे स्पष्ट होता है कि इस सुगंधगिरी अथवा सौगन्धिक पर्वत पर चाचिगदेव से पहले ही यहाँ चामुंडा जी विराजमान थी तथा चामुंडा 'अघटेश्वरी' नाम से लोक प्रसिद्ध थी। सुंधा माता के विषय में एक जनश्रुति यह भी है कि बकासुर नामक राक्षस का वध करने के लिए चामुंडा अपनी सात शक्तियों (सप्त मातृकाओं) समेत यहाँ पर अवतरित हुई जिनकी मूर्तियाँ चामुंडा (सुंधा माता) के पार्श्व मे प्रतिष्ठित है। माता के इस स्थान का विशेष पौराणिक महत्व है, यहाँ आना अत्यंत पुण्य फलदायी माना जाता है। कई समुदायों/जातियों द्वारा इस परिसर में भोजन प्रसाद बनाने के लिए हॉल का निर्माण कराया गया है। नवरात्रि के दौरान यहाँ भारी तादाद में श्रद्धालु माता की अर्चना के लिए आते हैं। पर्वत चोटी पर स्थित मंदिर पर जाने में आसानी के लिए वर्तमान में 800 मीटर लंबे मार्ग वाला रोप-वे भी यहाँ संचालित है जिससे लगभग छः मिनट में पर्वत पर पहुँचा जा सकता है।
म्हारे मरुधर देश रा प्यारा ढाणी-गाँव
अप्रैल 12, 2015राजस्थानी कविता एवं संगीत, राजस्थानी संगीत लिरिक्स (RAJASTHANI SONGS LYRICS)
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(1)
म्हारे मरुधर देश रा प्यारा ढाणी-गाँव
म्हारे मरुधर देश रा प्यारा ढाणी-गाँव ।
कोरा कोरा मटका रो सोंधो - सोंधो पाणी।
गर्मी रा मौसम को कलेवो,छाछ -राबड़ी और धाणी
पीपल अर खेजडा री, ठंडी शीतळ छांव
म्हारे मरुधर देश रा प्यारा ढाणी-गाँव ।।
(2)
पावणा रो अठे होव मोकलो सत्कार
टाबर ,जिव -जिनवारा न हेत रो पुचकार
सीधा सांचा लोग अठा रा, त्योंहारा रो चाव
म्हारे मरुधर देश रा प्यारा ढाणी-गाँव ।।
(3)
केर कमटिया सांगरी का मेवा री सुवास
धर्म दान और वीरता रा मंड्या पड्या इतिहास
नर -नारयां रो अठे ,फुटरो बणाव्
म्हारे मरुधर देश रा प्यारा ढाणी-गाँव ।।
(4)
प्याऊ ठंडा पानी का, हेला रो हेत अठे
मीठी बोली ऱी अपणायत आ सोना जेड़ी रेत् कठे
दुबड़ी ऱी जड़ की तरियां, आपस रो जुडाव
म्हारे मरुधर देश रा प्यारा ढाणी-गाँव ।।
म्हारे मरुधर देश रा प्यारा ढाणी-गाँव
म्हारे मरुधर देश रा प्यारा ढाणी-गाँव ।
कोरा कोरा मटका रो सोंधो - सोंधो पाणी।
गर्मी रा मौसम को कलेवो,छाछ -राबड़ी और धाणी
पीपल अर खेजडा री, ठंडी शीतळ छांव
म्हारे मरुधर देश रा प्यारा ढाणी-गाँव ।।
(2)
पावणा रो अठे होव मोकलो सत्कार
टाबर ,जिव -जिनवारा न हेत रो पुचकार
सीधा सांचा लोग अठा रा, त्योंहारा रो चाव
म्हारे मरुधर देश रा प्यारा ढाणी-गाँव ।।
(3)
केर कमटिया सांगरी का मेवा री सुवास
धर्म दान और वीरता रा मंड्या पड्या इतिहास
नर -नारयां रो अठे ,फुटरो बणाव्
म्हारे मरुधर देश रा प्यारा ढाणी-गाँव ।।
(4)
प्याऊ ठंडा पानी का, हेला रो हेत अठे
मीठी बोली ऱी अपणायत आ सोना जेड़ी रेत् कठे
दुबड़ी ऱी जड़ की तरियां, आपस रो जुडाव
म्हारे मरुधर देश रा प्यारा ढाणी-गाँव ।।
राजस्थान के प्रमुख नगरो के उपनाम
अभ्रक की मण्डी - भीलवाड़ा
आदिवासीयो का शहर , सौ द्वीपों का शहर- बाँसवाड़ा
राजस्थान का शिमला -माउंट आबू
अन्न का कटोरा - श्री गंगानगर
औजारो का शहर - नागौर
आइसलैण्ड आॅफ ग्लोरी - जयपुर
उध्यानो,बगीचो का शहर - कोटा
ऊन का घर - बीकानेर
ख्वाजा की नगरी - अजमेर
गलियो का शहर - जैसलमेर
गुलाबी नगरी - जयपुर
घंटियो का शहर - झालरापाटन
छोटी काशी - बुन्दी
जलमहलो की नगरी - डीग
झीलो की नगरी - उदयपुर
वस्त्र नगरी - भीलवाड़ा
देवताओं की उपनगरी - पुष्कर
नवाबो का शहर - टोंक
पूर्व का पेरिस - जयपुर
पूर्व का वेनिस - उदयपुर
पहाड़ो की नगरी - डुंगरपुर
भक्ति व साधना की नगरी - मेड़तासिटी
मूर्तियो का खजाना - तिमनगढ़ , करौली
मरुस्थल की शोभा - रोहिड़ा
राजस्थान की मरुनगरी - बीकानेर
राजस्थान का ह्रदय - अजमेर
राजस्थान का प्रवेश द्धार - भरतपुर
राजस्थान का सिंह द्धार - अलवर
राजस्थान का अन्न भण्डार - गंगानगर
राजस्थान की स्वर्णनगरी - जैसलमेर
राजस्थान की शिक्षा की राजधानी - अजमेर
राजस्थान का कश्मीर - उदयपुर
राजस्थान का काउंटर मेग्नेट - अलवर
राजस्थान की मरुगंगा - इन्दिरा गाँधी नहर
पश्चिम राजस्थान की गंगा - लुणी नदी
राजस्थान की मोनालीसा - बणी ठणी
रेगिस्तान का सागवान - रोहिड़ा
राजस्थान का खजुराहो - भण्डदेवरा
राजस्थान का कानपुर - कोटा
राजस्थान का नागपुर - झालावाड़
राजस्थान का राजकोट - लुणकरणसर
राजस्थान का स्कॉटलैण्ड -अलवर
राजस्थान की धातु नगरी - नागौर
राजस्थान का आधुनिक विकास तीर्थ - सूरतगढ़
राजस्थान का पँजाब - साँचौर
राजस्थान की अणुनगरी - रावतभाटा , बेगूँ
राजस्थान का हरिद्धार - मातृकुण्डिया , चित्तौड़गढ़
राजस्थान का अण्डमान - जैसलमेर
राजपुताना की कूँची - अजमेर
राजस्थान का मेनचेस्टर - भीलवाङा
राजस्थान का जिब्राल्टर - तारागढ़ , अजमेर
राजस्थान का ताजमहल - जसवंतथड़ा , जोधपुर
राजस्थान का भुवनेश्वर - ओसियाँ
राजस्थान की साल्टसिटी - साँभर
राजस्थान की न्यायायिक राजधानी - जोधपुर
राजस्थान का चेरापूँजी - झालावाड़
राजस्थान की डल झील - माउण्ट आबू
राजस्थान का गौरव - चित्तौड़गढ़
मेवाङ का मैराथन-दिवेर
प्राचीन भारत का टाटानगर - रैढ ( टोंक)
ऐसो मेरो राजस्थान।
पधारो म्हारे देश ।।
राजस्थान के प्रमुख अनुसंधान केन्द्रो के नाम
1. राष्ट्रीय सरसों अनुसंधान केन्द्र - सेवर जिला भरतपुर
2. केन्द्रीय सूखा क्षेत्र अनुसंधान संस्थान - CAZRI- जोधपुर
3. केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान - अविकानगर जिला टौंक
4. केन्द्रीय ऊँट अनुसंधान संस्थान - जोहड़बीड़, बीकानेर
5. अखिल भारतीय खजूर अनुसंधान केन्द्र - बीकानेर
6. राष्ट्रीय मरुबागवानी अनुसंधान केन्द्र - बीकानेर
7. राष्ट्रीय घोड़ा अनुसंधान केन्द्र - बीकानेर
8. सौर वेधशाला - उदयपुर
9. राजस्थान कृषि विपणन अनुसंधान संस्थान - जयपुर
10. केन्द्रीय पशुधन प्रजनन फार्म - सूरतगढ़ जिला गंगानगर
11. राजस्थान राजस्व अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान - अजमेर
12. राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान - उदयपुर
13. सुदूर संवेदन केन्द्र - जोधपुर
14. माणिक्यलाल वर्मा आदिम जाति शोध एवं सर्वेक्षण संस्थान - उदयपुर
15. राष्ट्रीय मसाला बीज अनुसंधान केन्द्र - अजमेर
16. राष्ट्रीय आयुर्वेद शोध संस्थान - जयपुर
17. केन्द्रीय इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग शोध संस्थान (सीरी) - पिलानी
18. अरबी फारसी शोध संस्थान - टौंक
19. राजकीय शूकर फार्म - अलवर
20. केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान - अविकानगर, मालपुरा टौंक
21. बकरी विकास एवं चारा उत्पादन परियोजना, स्विट्जरलैंड के सहयोग से - रामसर, अजमेर
22. केन्द्रीय ऊन विकास बोर्ड - जोधपुर
23. राज्य स्तरीय भेंस प्रजनन केन्द्र - वल्लभनगर उदयपुर
24. भेड़ रोग अनुसंधान प्रयोगशाला - जोधपुर
25. भेड़ एवं ऊन प्रशिक्षण संस्थान - जयपुर
26. शुष्क वन अनुसंधान संस्थान, जोधपुर { ARID FOREST RESEARCH INSTITUTE (AFRI)} ORGANISATION
प्रमुख गौवंश नस्ल अनुसंधान केन्द्र-
1. गिर - डग, झालावाड़
3. मेवाती - अलवर
4. थारपारकर - सूरतगढ़, गंगानगर
5. हरियाणवी - कुम्हेर, भरतपुर
6. राठी - नोहर, हनुमानगढ़
7. नागौरी - नागौर
8. थारपारकर - चांदन, जैसलमेर
प्रमुख भेड़ नस्ल अनुसंधान केन्द्र-
1. बाँकलिया - नागौर
2. फतहपुर सीकर
3. चित्तौड़गढ़
4. जयपुर
राज्य के अश्व विकास केन्द्र-
1. बिलाड़ा, जोधपुर
2. सिवाना, बाड़मेर { मालानी घोड़ों के लिए }
3. मनोहरथाना, झालावाड़
4. बाली, पाली
5. जालोर
6. पाली
7. चित्तौड़
8. उदयपुर
9. जयपुर
10. बीकानेर